یوسف میخائیلوویچ ارانسکی

زبان‌شناس روسی

یوسف میخائیلوویچ ارانسکی (به روسی: Оранский, Иосиф Михайлович) (به انگلیسی: IOSIF MIKHAILOVICH ORANSKIĬ) در ۳ مه سال ۱۹۲۳ میلادی در لنینگراد (پتروگراد) روسیه متولد شد.[۱] در سال ۱۹۴۰ م در بخش زبان‌شناسی دانشگاه لنینگراد ثبت نام کرد، ولی فقط یک درس را تمام کرده بود که جنگ جهانی دوم آغاز شد. از اوت ۱۹۴۱ تا مه ۱۹۴۵ در جبهه لنینگراد و ولخف خدمت کرد و چندین تقدیرنامه و مدال گرفت.[۲] پس از جنگ به دانشگاه بازگشت و در بخش جدید «زبان‌های شرقی» به ادامه درس پرداخت و از سال ۱۹۴۸ تا ۱۹۵۱ م زیر نظر فریمان (freiman) به پژوهش پرداخت و رساله‌ای در مورد زبان پشتو تهیه کرد. سپس در ۱۹۵۱ م با ارائه رساله‌اش با عنوان «وجه و حدود فعل در دستور زبان معاصر افغانستان»، موفق به دریافت درجه دکتری شد. او از همان هنگام تحصیل در دانشگاه یعنی ۱۹۴۸ م در دانشکده مطالعات شرقی دانشگاه دولتی لنینگراد به تدریس مقدمات زبان‌شناسی ایرانی، تاریخ زبان‌های ایرانی و تاجیکی و دستور تطبیقی مشغول شده بود از ۱۹۵۱ م - پس از دفاع از تز دکتری - تا ۱۹۵۵ م در بخش تاریخ زبان‌شناسی دانشگاه تاجیکستان، تاریخ زبان فارسی و تاجیکی را تدریس می‌کرد و از ۱۹۵۵ تا ۱۹۵۹ م در دانشسرای عالی «استالین آباد» (دوشنبه) به تدریس همین دروس پرداخت. در ۱۹۵۹ م کارمند علمی دانشکده شرق‌شناسی آکادمی علوم شوروی شعبه لنینگراد بود. از آثار او می‌توان به «مقدمه‌ای بر فقه اللغه ایرانی»(۱۹۶۰)[Latin ۱] (ترجمه فارسی به وسیله ک. کشاورز، ۱۳۵۵)، «روایتی دربارهٔ شمس تبریزی»(۱۹۶۷)،[Latin ۲] «زبان‌های ایرانی»(۱۹۷۳)[Latin ۳] (ترجمه فارسی به وسیله ع.ا. صادقی، ۱۳۷۸)، «فقه اللغه ایرانی باستان و زبان‌شناسی ایرانی»(۱۹۷۲)،[Latin ۴] زبان‌های ایرانی نو در اتحاد شوروی»(۱۹۷۵)[Latin ۵] نام برد. ارانسکی در ۱۹۷۷ درگذشت.[۳]

  • ارانسکی، یوسف م (۱۳۸۶). زبان‌های ایرانی. ترجمهٔ علی اشرف صادقی. تهران: انتشارات سخن. ص. ۴۶-۴۷. شابک ۹۶۴-۶۹۶۱-۲۴-X.

تک‌نگاری

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  • Введение в иранскую филологию. М.: ИВЛ., 1960

Введение в иранскую филологию (2-е изд., доп ed.). М.: Наука, ГРВЛ. Сост. И. М. Стеблин-Каменский. Отв. ред. А. Л. Грюнберг. 1988. {{cite book}}: no-break space character in |agency= at position 46 (help)

Индийский диалект группы парья (Гиссарская долина). Материалы и исследования. Вып. I. Тексты (фольклор). М.: Наука. 1963.

Иранские языки. М.: Издательство восточной литературы. 1963.

    • Le Lingue Iraniche. Editione Italiana a cura di A. V. Rossi, Napoli: Istituto universitario Orientale, 1973.
    • Les Langues iraniennes. Traduit par Loyce Blau. Préface de Gilbert Lazard. P.: C. lincksieck, 1977.
    • Zabānhā-ye Irāni / Transl. by A. A. Sādeghi, Tehran: Enteshārāt-e Sokhan, 1378š/1999;
  • Азиатский музей — Ленинградское отделение Института востоковедения АН СССР / Редакционная коллегия: А. П. Базиянц, Д. Е. Бертельс (отв. секретарь), Б. Г. Гафуров, А. Н. Кононов (председатель), Е. И. Кычанов, И. М. Оранский, Ю. А. Петросян, Э. Н. Тёмкин, О. Л. Фишман, А. Б. Халидов, И. Ш. Шифман. М.: Наука, 1972;
  • Die neuiranischen Sprachen der Sovjetunion. The Hague-Paris: Mouton, 1975;

Фольклор и язык гиссарских парья (Средняя Азия). Введение, тексты, словарь. М.: Наука, Главная редакция восточной литературы. 1977.

  • Иранские языки в историческом освещении / Отв. ред. И. М. Стеблин-Каменский. М.: Наука, ГРВЛ, 1979;

Таджикоязычные этнографические группы Гиссарской долины (Средняя Азия). Этнолингвистическое исследование. М.: Наука, ГРВЛ. 1983.

مقاله‌ها

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  • On an Indian dialect discovered in Central Asia // Труды XXV международного конгресса востоковедов. М.: 9-16 августа 1960 г. Том IV: заседания секций XIV—XV. М.: ИВЛ, 1963. Сс. 30—37;
  • Несколько замечаний к вопросу о времени введения древнеперсидской клинописи. Памяти В. В. Струве // Вестник древней истории. 1966, № 2. С. 107—116;
  • О терминах vilayat, vilayati в Средней Азии и сопредельных странах // Письменные памятники Востока. Историко-филологические исследования. Ежегодник 1973. М.: Наука, ГРВЛ, 1979. C. 151—155.

لاتین

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  1. Vvdenie v iranskuiu fiologiiu (1960)
  2. Legenda o Sheikhe shamsi Tabrizi(1967)
  3. Iranskie Iazki(1973)
  4. Drevneiranskaia Filologiia iranskoe iazykoznanie(1972)
  5. Die neuiranischen sparchen der sowjetunion(1975)

پانویس

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منابع

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